कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए जरूरी है आध्यात्मिक उपाय


रामेश्वर कारपेंटर

मालवा-दर्पण न्यूज/आगर-मालवा। दुनिया के साथ-साथ भारत में भी कोरोना महामारी अपने रौद्र रूप को लगातार बढ़ा रही है। आए दिन हर नगर कस्बे में नित नये कोरोना संक्रमित मिलते जा रहे है। प्रशासन का अमला सभी आवश्यक कार्यों को छोड़कर इसी कार्य में लगने को मजबूर हो जाता है, जिसके कारण अन्य सारी गतिविधियां भी धीरे-धीरे प्रभावित होने लगी है। तीन महीने पहले भारत में केवल सैकड़ों की संख्या मेें कोरोना संक्रमित थे, जो आज तक बढ़कर लगभग 11 लाख हो चुके है। निश्चित ही कोरोना संक्रमण सुरसा की तरह मुंह फैलाता जा रहा है। इस पर काबू पाने के लिए हनुमान जैसा आध्यात्मिक बलशाली, बुद्धिमान चाहिए, जिन्होंने अपने आध्यात्म एवं बुद्धि के कारण सुरसा जैसी राक्षसी पर विजय पाई थी। जबसे देश में कोरोना संक्रमण शुरू हुआ है, तब से ही हम अपनी मूल आध्यात्मिक उपायों को छोड़कर केवल पाश्चात्य तरीकों पर ही विश्वास करके कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे है। जैसा कि वेदों में वर्णित है। भारतीय संस्कृति, भारतीय आध्यात्म में अनेकों ऐसे उपाय है, जिनसे किसी भी संक्रमण को दूर किया जा सकता है। कोई भी संक्रमण अधिकतर वायु में प्रदूषण के कारण फैलता है। प्रदूषित वातावरण होने के कारण ही संक्रमण दिनों-दिन बढ़ता जाता है। हमारे शास्त्रों में वर्णन है वातावरण शुद्धि के लिए ऋषि-मुनि यज्ञों का आयोजन कर उनमें घी, तिल, जौ अनेक प्रकार की लकडिय़ों को एकत्रित कर यज्ञ में आहुतियां देते थे, जिनके कारण वायु में घुली जहरीली गैसे समाप्त होकर वातावरण शुरू होता था। कितने ही घातक संक्रमण हो हमारे ऋषि-मुनियों ने कई बार ऐसे अनेक यज्ञ, अनुष्ठान करके अनेक महामारियों पर नियंत्रण कर लिया ऐसा शास्त्रों में वर्णन मिलता है। जो कहीं न कहीं सत्य भी है। वर्तमान में हम आध्यात्मिक उपायों देश में व्याप्त पर्याप्त जड़ी-बुटियों को अनदेखा करके पाश्चात्य संस्कृति की नकल करते जा रहे है। उपचार करना बुरी बात नहीं है, किंतु उपचार के साथ-साथ व्यापक स्तर पर यज्ञ, हवन मंत्रों के जाप द्वारा भी इस महामारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। जरूरत है हमारे देश में मंदिरों, मठों, धार्मिक स्थानों को बंद करने की बजाय सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सीमित संख्या में प्रशासनिक की देखरेख में हर धार्मिक जगह, हर मंदिर, हर गांव, हर शहर, हर घर में इस प्रकार के वातावरण को शुरू करने के लिए यज्ञ, अनुष्ठान किए जाएं। जब व्यापक स्तर पर यज्ञ, अनुष्ठान होंगे तो यज्ञों की आहुतियों से निकलने वाली शुद्ध वायु निश्चित ही इस संक्रमण को काबू में करने में सहायक होगी। अत: पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करते हुए उपचार तो जारी रखना ही है, किंतु हमारे आध्यात्म का सहारा लेकर भी हम इस महामारी पर नियंत्रण पा सकते हैं। सभी व्यक्ति अपने-अपने धर्म के अनुसार घर पर रहकर ही योग एवं विभिन्न प्रकार के मंत्र, जाप का सहारा लेकर भी बहुत कुछ संक्रमण पर पार पा सकते है। आवश्यकता है दृढ़संकल्प एवं आत्मविश्वास की।