मालवा-दर्पण न्यूज/आगर-मालवा। कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन अवधि को अब दो माह से भी अधिक समय हो गया है। गरीब, मजदूर, मध्यम वर्ग को जो यातनाएं भोगना पड़ रही है उससे धीरे-धीरे ही सही भगवान की शक्ति का एहसास होने लगा है। इसी का परिणाम है कि आज आदमी नियमों का पालन करते देखा जा रहा है। लाखों की संख्या में मंदिर जाने वाले, तीर्थ यात्रा करने वाले, घर पर रहकर ही भगवान की पूजा कर रहे है। हजारों की संख्या में ईदगाह पर नमाज अता करने वालों ने घर रहकर ही नमाज अता कर ईद का त्योहार मनाया है। अब मनुष्य समझने लगा है कि किसी भोले-बाले जानवरों को पशु-पक्षियों को कैद करना उनके लिए कितना कष्ट कारक हो सकता है, क्योंकि दो महीने घर पर बंद रहकर उसे यह एहसास होने लगा है कि स्वतंत्रता हर जीव के लिए कितनी जरुरी है। अपना पेट भरने के लिए दूसरों की बलि देना बिल्कुल सही नहीं है। धन-वैभव ही सब कुछ नहीं, ईश्वर सबसे ऊपर है। उसकी सत्ता को अनदेखा कर हम सुखी नहीं रह सकते हैं। प्रकृति को नष्ट कर हम अपना अस्तित्व कदापि नहीं बचा सकते, किंतु कुछ लोग अहंकार वश अतिमहत्वाकांक्षा वश अभी भी ऊपर वाले की चेतावनी को अनदेखा कर सत्ता शासन के मद में भगवान के इस संकेत को भी लगातार अनदेखा कर रहे है, जिसके कारण अनेक लोग परेशानी झेल रहे है ये सत्ता लोलुप लोग अब भी अपनी सत्ता जनता पर जबरन थोपने से बाज नहीं आ रहे है। ये महाभारत के उस अंधे शासक की तरह हो चले है जो श्रीकृष्ण की बार-बार चेतावनी के बाद भी सत्ता के मोह में पूरे कुरुवंश का नाश करवा बैठा था। जवाबदारों को अब सोचना होगा कोरोना संक्रमण हम सबके लिए चेतावनी है। हम अब भी सत्य की राह पर चले। मानवता की रक्षा के लिये अपने अहंकार, अपनी महत्वाकांक्षा का मोह त्यागे। राजपद पर बने रहने या राजपद पाने के लिए गरीब जनता को और अधिक कष्ट न दे। एक-दूसरे पर दोष लगाने के बजाय इस संकट की घड़ी में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मानव की सेवा के लिए सब साथ चले। इसी में आप हम सबकी भलाई है। ऐसे समय में कोरोना संक्रमण से बचाव में लगे सभी अधिकारी, डॉक्टर एवं सेवा करने वाले सभी लोग हारकर उस परमपिता की ओर ही देखने लगे है, जो कि ऐसी संकट की घड़ी में अवश्य रक्षा करता है। यदि अब भी हम ईश्वर के संकेतों को अनदेखा करेंगे तो ईश्वर के कोप से हमें कोई नहीं बचा सकेगा। आओ सब गिले-शिकवे, राजनीति, ऊंच-नीच का भेदभाव भुलाकर आने वाली आपदाओं का सामना एक साथ रहकर करें। ईश्वर पर भरोसा रखें। ईश्वर का यह केवल संकेत मात्र है। वह चाहे तो पलभर में आबाद और पलक झपकते प्रलय कर सकता है।
मानव सभ्यता के लिए घातक हो सकता है ईश्वरीय संकेतों को अनदेखा करना