कृषि विज्ञान केंद्र ने जिले के किसान भाइयों के लिए सलाह दी

मालवा-दर्पण न्यूज/आगर-मालवा। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जिले के किसानों के लिए आवश्यक सलाह जारी कर बताया है कि अनुसार राजस्थान से सटे मनासा भानपुरा क्षेत्र तक टिड्डी दल पहुंच चुका है, टिड्डी दल से किसानों की फसलों का अत्यधिक नुकसान होता है। यह टिड्डी दल फसलों एवं समस्त वनस्पति को खाकर समाप्त कर देता है।  कृषि विज्ञान केंद्र आगर मालवा के वैज्ञानिक डॉक्टर आरपीएस शक्तावत ने इससे बचाव हेतु किसानों को सलाह दी है कि ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर उनको अपने खेतों पर बैठने ना देवें, प्रकाश प्रपंच लगाकर एकत्रित करें। इसके अलावा खेतों में कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर को टिड्डी को तथा उसके अंडों का नष्ट कर सकते है। टिड्डी कीट नियंत्रण हेतु बेंडियोकार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्राम, फ्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत  ईसी 1200 मीली, क्लोरपाइरीफास 50 प्रतिषत ईसी 480मिली, डेल्टामेथरिन 2.8 प्रतिशत ईसी 625 मिली, डेल्टामेथरिन 1.25 प्रतिशत यूएलवी 1400 मिली, डाईफ्लूबेनजुरान 25 प्रतिशत, डब्ल्यूपी 120 ग्राम, लेम्डासाईहेलोथ्रिन 5 प्रतिशत इसी 400 मिली, लेम्डासाईहेलोथ्रिन 10 प्रतिशत,  डब्ल्यूपी 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। अकृषि क्षेत्र में टिड्डी कीट नियंत्रण हेतु उपरोक्त अधिसूचित कीटनाशक रसायनों के अलावा फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत डीपी 25 किलोग्राम, क्विनालफास 1.5 प्रतिशत डीपी 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकेगा।  इस समय संतरे की नई कोपल सिट्रस सिल्ला नामक रस चूसने वाले किट के द्वारा खाकर के नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसमें नई पत्तियां मुड़ी हुई रहती है। साथ ही अत्यधिक मात्रा में फूल गिर रहे हैं। इसके नियंत्रण के लिए 500 लीटर पानी में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल की 50 मिली मात्रा या थाईमिथोक्जाम 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 100 ग्राम मात्रा। साथ ही 200 ग्राम मात्रा चिपको की अवश्य मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करे।