कोरोना वायरस के समय हर कोई संकट में है। किसी को घर जाने का संकट तो किसी को व्यापार चौपट होने का संकट, किसी को पेट पालने का संकट तो किसी को घर से बाहर निकलने का संकट। नेताओं को कुर्सी तक पहुंचने का संकट तो अधिकारियों को वेतन में कटौती का संकट। कुल मिलाकर सब दूर संकट ही संकट। आखिर यह संकट आया क्यों? जरा गोर से सोचे। यह संकट हमने ही पैदा किया है अपने लिए।
1. आपने सड़क पर इतना अतिक्रमण कर लिया कि वह सड़क आज आपसे नफरत करने लग गई।
2. आपने दूसरे के हक पर इस कदर डाका डाला कि आपका हक भी आज आपसे छीनने लगा।
3. आपने अपने समाज में ऐसी नफरत की राजनीतिक रोटियां सेकी की हर कोई आपसे दूरियां बनाने लगा।
4. आपने इतने पेड़ काटे, इतने पहाड़ खोखले किए कि कोरोना आपको ही खोखला करने लग गया।
5. आपने मेहनत की कमाई करने की बजाय मुफ्त की योजनाओं का लाभ लेने के लिए नकली कागजात बनवाए। आज हकीकत में आपको लाइन में लगना पड़ा।
6. बड़े-बड़े राजनेताओं ने जनता से वोट लेकर उनके साथ न्याय नहीं किया। अब ये बड़े नेता ही ऊपर वाले के सामने बड़ी कातर निगाहों से देख रहे है।
7. आपने दूसरे के कामधंधे बंद कराने के लिए कई पैतरे अपनाएं। ऊपर वाले ने एक झटके में आपको बेकाम कर दिया। आपके सब धंधे बंद करवा दिए।
8. आपने दूसरे राज्यों की बसों को प्रदेश में प्रवेश करना जबरन बंद करवा दिया। आज आपकी बसें अपने आप बंद हो गई।
9. पर्याप्त सैलरी के बाद भी आप अतिरिक्ति कमाई के चक्कर में लोगों से अवैध वसूली करने लगे। ऊपर वाला आपसे सूद समेत वसूल करने को खड़ा हो गया।
कुल मिलाकर जो हमने बोया आज वहीं हम काट रहे है। उसी का परिणाम है पूरी दुनिया कोरोना से भयभीत है, किंतु ऐसे नाजुक समय में भी कुछ लोग अपने आदतें नहीं सुधार रहे है। गरीबों, बेरोजगारों के साथ लूटमार करने में उनको जरा भी संकोच नहीं हो रहा है। जरा सोचे ऊपर वाला सब देख रहा है। उसकी निगाह से आप बच नहीं
सकते। वह आपके कर्मों का फल अवश्य देता है।
हमने जो बोया है वही काट रहे हम