अफगान युद्ध में कर्नल मार्टिन की रक्षा करने वाले और न्यायालय में भक्त की पैरवी करने वाले बाबा बैजनाथ भी कर रहे हैं लॉकडाउन का पालन





 



मालवा-दर्पण न्यूज/आगर-मालवा। हम बात कर रहे हैं आगर-मालवा के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बाबा बैजनाथ महादेव धाम की। यहां के चमत्कारों के कारण तीर्थ की प्रसिद्धि देश ही नहीं विदेशों में प्राचीनकाल से है। आगर जिला राजस्थान के झालावाड़ जिले से लगा हुआ जिला है। प्रसिद्ध अतंराज्यीय मार्ग इंदौर-कोटा आगर के होकर निकलता है। आगर से तीन किलोमीटर कोटा रोड पर भव्य 12 ज्योतिर्लिंग द्वार बना हुआ है। इस द्वार से जाने पर पूर्व दिशा में लगभग 700 मीटर दूरी पर स्थित है यह तीर्थ स्थल। क्षेत्र की प्रसिद्ध नदी बाणगंगा के तट पर यह एक पर्यटन के रूप में प्रसिद्ध है। यहां के चमत्कारों के कारण यह देश-विदेश में प्रसिद्ध है। 
1. आगर नगर अंग्रेजों की फौजी छावनी रहा है। सन् 1879 में अंगेे्रज फौजी कर्नल माॢटन के नेतृत्व में  60 सैनिकों की टुकड़ी अफगान युद्ध में गई थी। उस समय कई देशों के बीच में आपस में युद्ध चल रहा था। बहुत दिनों तक कर्नल की कुशलता के समाचार न मिलने के कारण कर्नल की पत्नी बैचेन हो उठी। संयोग  से एक दिन वह बैजनाथ धाम जा पहुंची। उस समय यहां पर नदी किनारे छोटा-सा शिवलिंग था, जहां कुछ लोग पूजा कर रहे थे। लेडी मार्टिन ने अपनी व्यथा वहां सुनाई। पूजा करने वालों ने बताया यहां मांगों जो मिलता है। लेडी मार्टिन ने अपने पति के सकुशल लौटने पर यहां मंदिर बनवाने की बात कही। संयोग से कुछ दिनों बाद अफगान युद्ध से कर्नल मार्टिन सकुशल लौट आए। उन्होंने अपनी पत्नी को बताया कि अफगान युद्ध में हमें विरोधी सेना ने घेर लिया था। ऐसे में एक त्रिशुल वाले बाबा ने हमारी रक्षा की। उस घटना के बाद कर्नल मार्टिल दंपती ने यहां स्थानीय लोगों की मदद से इस मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम करवाया, जिसका शिलालेख यहां लगा हुआ है। 
2. स्थानीय वकील जयनारायणजी उपाध्याय प्रतिदिन बैजनाथ धाम पूजा करने जाते थे। उसके बाद न्यायालय जाते थे। एक दिन उनका ध्यान बैजधाम मंदिर में लग गया और शाम 5 जब उनका ध्यान खुला तो वे भागते हुए न्यायालय पहुंचे। उस समय लगभग 6 बज चुके थे। न्यायायल बंद हो चुका था। तब वकील साहब  जज साहब के निवास पहुंचे। वहां पर साथी वकीलों ने उन्हें बधाई दी और कहा आपने आज बहुत अच्छी पैरवी की। वकील साहब स्तब्ध रह गए। उन्हें आभास हो गया कि बाबा ही मेरे रूप में यहां थे। तब से ही वे बाबा की भक्ति में लीन हो गए। बाद में बापजी के नाम से प्रसिद्ध हुए। आज भी बैजनाथ मंदिर में भगवान के सामने सभामंडप में उनकी मूर्ति लगी है। 
3. यहां 45 वर्षों से अखंड रामायण पाठ निरंतर जारी है। जहां पर भगवान बैजनाथ ने कई बार बरसात के दिनों में जब नदी-नाले उफान पर होते है, तब बाबा ने किसी भी रूप में आकर रामायण पढऩे वालों को दूध एवं भोजन आदि व्यवस्था भी कराई। ऐसी अनेक चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई है यहां से। आसपास हरी-भरी पहाडिय़ा बहुत ही सुंदर दिखाई देती है। निश्चित ही यह तीर्थ स्थल प्रदेश ही नहीं देश का सुंदर व संपूर्ण तीर्थ स्थल है। 
यहां पर बाबा बैजनाथ मंदिर के अलावा मंगलनाथ मंदिर, हनुमान मंदिर, वराह मंदिर, गणपति मंदिर भैरवनाथ मंदिर, हिंगलाज माता मठ मंदिर, सबरी आश्रम, गंगा भागीरथ मंदिर, प्राचीन कमलकुंड भी है। यहीं पर एक कुछ वर्षो पूर्व भक्तों द्वारा लगाया गया शमी का पौधा भी है। 
देश मेें लॉकअवधि को 50 दिन हो गए है। भगवान भोलेनाथ भी ताले के अंदर ही रहकर रामायण का श्रवण कर रहे हंै, क्योंकि रामायण में लिखा है- 
उमा कहउ मैं अनुभव अपना।
सत हरि भजन जगत तब सपना।।