सोचो कभी ऐसा हो तो क्या होगा


मालवा-दर्पण न्यूज/आगर-मालवा।
हम ही नहीं दुनिया में करोड़ो लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे है। इस समय निश्चित ही मानव जाति के लिए अपने अस्तित्व की रक्षा करना अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। जहां एक ओर कोरोना रुपी राक्षस दिन-रात अपने पंजे पसारता जा रहा है हममें से अनेक लोग अपनी जान पर खेलकर दिन-रात कोरोना महामारी से जूझते हुए हमारी सेवा में लगे हुए है। घर बार परिवार छोड़कर हमारा उपचार कर रहे है। हम घर सुरक्षित रहे इसलिये दिन रात एक कर हमारी सुरक्षा कर रहे है। खुद भूखे रहकर हमें भोजन राशन पहुंचा रहे है इनमें से कुछ लोग हमारी सेवा करते हुए अपनी जान की बाजी लगा चुके हैं। हमारे लिये मौत को हंसते-हंसते गले लगाने वाले इन कर्मवीरों को हम क्या दे रहे है बदले में पत्थर मार रहे है। हम इनके साथ अभद्र व्यवहार कर रहे है। हम इन देवदूतों को धन्यवाद के बजाय इनकी जान लेने पर तुले है। जरा सोचो इनका क्या दोष है। जरा सोचो यदि इन सेवा करने वाले सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों, डाक्टरों ने, नर्सो ने पुलिस वालों ने, आपकी घर पहुंच मदद करने वालों ने यदि  काम बंद कर दिया आप जिस नफरत से इनको देख रहे हो एसी ही नफरत अगर ये लोग आपसे करने लगेंगे तो क्या होगा। सोचिये अपना नजरिया अपनी सोच बदल कर मानवता के इन मसीहाओं का साथ दीजिये। इनको पत्थर मारने के बजाय इन पर प्रेम के फूलों की वर्षा कीजिए। कहीं ये बदल गये और इन सबने अपना कार्य बंद कर दिया तो सोचो हमारा क्या अंजाम
होगा। 
अभी कुछ नहीं बिगड़ा है सोच बदलिये, सहयोग कीजिये।