क्षमा के नहीं, दंड के भागी है ऐसे लोग


रामेश्वर कारपेंटर
एक बार ईसा मसीह किसी रास्ते से गुजर रहे थे। अचानक कुछ लोग उन्हें अकारण पत्थर मारने लगे। लोग लगातार पत्थर बरसा रहे थे, फिर भी ईसा मसीह मन ही मन ईश्वर से कह रहे थे कि ईश्वर इन्हें माफ कर देना, क्योंकि ये नहीं  जानते ये क्या कर रहे है। वर्तमान में भी यही नजारा समाज में देखने को मिल रहा है। जहां एक ओर पूरा प्रशासन एवं समाजसेवी लोग कोरोना संकट के दौरान देश में व्यवस्था बनाने और जरूरतमंद लोगों की सेवा करने में लगे है, वहीं कुछ समय परस्त लोग इन कार्यों में लगातार व्यवधान पैदा करने में लगे है। कोरोना संकट की घड़ी में दिन-रात लोगों की सेवा करने वाले पुलिसकर्मियों पर, डॉक्टरों पर ऐसे लोग पत्थर बरसा रहे है, जानलेवा हमले कर रहे है, नर्सों के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे है, निश्चत ही क्षमा करने योग्य नहीं है। इतना ही नहीं कुछ छुटभईया राजनेता  इस समय इनकी आड़ में अपनी राजनीति चमकाने का घिनोना प्रयास कर रहे है, पर क्या करें इनकी आदत जो पड़ गई है। इन्हीं स्वार्थी नेताओं के कारण कई बार बड़े जवाबदार नेताओं को सत्ता से बेदखल होता आप हम देख चुके, पर इनको इस बात से कोई लेना-देना नहीं, क्योंकि इनमें से अधिकतर लोग समय परस्त है। गिरगिट की तरह रंग बदलने की कला है इनमें। इनकी कुटिल मुस्कान का रहस्य हर आदमी की समझ से परे है। ये अपने स्वार्थ के लिए पल-पल अपने कथनों को भी बदल देते है। ऐसे समय परस्त लोगों के कारण भी प्रकृति भी अपना रौद्र रूप दिखा रही है, जिसमें इनके साथ-साथ समाज के निर्दोष भी चपेट में आ रहे है। अब समय आ गया है जनमानस का विवेक जगाने का और ऐसे समय परस्त लोगों को सबक सिखाने का। 
भगवान श्री राम ने भी लगातार तीन दिन तक समुद्र से प्रार्थना करने के बाद यही कहा था-
विनय न मानत जलधि, जड़ गए तीन दिन बीत।
बोले राम सकोप तब, भय बीन होए न प्रीत।।