इनकी मदद अवश्य करें सरकार


मालवा-दर्पण न्यूज/आगर-मालवा। लगभग एक माह  से कोरोना संकट के कारण दुनिया के साथ-साथ देश में भी कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन घोषित किया गया है। कई बड़े शहरों में इसको सख्ती से लागू किया गया है। ऐसे समय में शासन, प्रशासन, समाजसेवी संस्थाएं, दानदाता अपने-अपने स्तर से लगातार जरूरतमंद परिवारों को भोजन प्रदान करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं, किंतु समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो केवल दो या तीन माह की कमाई से ही पूरे परिवार की सालभर की रोजी रोटी का जुगाड़ कर लेता है। किस्मत से इस वर्ग के काम करने के सीजन में ही लॉकडाउन का सामना इन परिवारों को करना पड़ रहा है। 
मजदूर, गरीब वर्ग बीपीएल कार्डधारी की मदद सरकार समय-समय पर करती रहती है, इन्हें राशन उपलब्ध कराना, गरीब, विधवा, विकलांग, पेंशन के रूप में कुछ ना कुछ इन्हें मिलता ही रहता है, पर एक वर्ग ऐसा भी हे जो कहने को तो मध्यम वर्ग है, पर शासन द्वारा इस वर्ग को कोई विशेष सुविधाएं नहीं मिलती है। यह वर्ग सीजन विशेष में ही व्यापार, व्यवसाय कर सालभर की रोजी-रोटी का जुगाड़ करता है। इनमें से अधिकतर परिवारों के पास न तो बीपीएल कार्ड है न कोई प्रकार की पेंशन इन्हें मिलती है। इनकी तीन महीने की मेहनत ही इनकी सालभर की व्यवस्था का आधार बनती हैं। इस वर्ग में मुख्य रूप से मकान निर्माण करने वाले कारीगर, ठेकेदार, विवाह संबंधी कार्य करने वाले छोटे-मोटे उद्योग, बैंडबाजे वाले, कुम्हार, टेंट व्यवसाय, बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर्स, वाहन मालिक, मोटर मालिक, केटरिंग का काम करने वाले, हलवाई, लाइट डेकोरेटर्स और भी कई छोटा-मोटा व्यापार करने वाले परिवार है। विशेषकर मार्च, अप्रैल, मई में ही इनके कार्य का सीजन चलता है। इस सीजन में दिन-रात एक कर पूरे परिवार के लिए रोजी रोटी की व्यवस्था करते है।
इस समय पूरे देश में लॉकडाउन की अवधि में यही वर्ग सबसे ज्यादा संकट में है, क्योंकि इनमें से कई परिवारों का नाम किसी भी प्रकार की राहत सूची में नहीं है। ऐसे समय में सभी राज्य सरकारें स्थानीय शासन में बैठे अधिकारियों को क्षेत्र वाइज सर्वे कराकर इन मेहनत कश परिवारों की मदद करने के लिए आगे आना होगा, अन्यथा कई परिवार अपने बच्चों के साथ घर पर दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे होंगे। 
सभी फैक्ट्री, कारखानें मालिकों की जवाबदारी है कि इस समय ऐसे अनेक मजदूर, कारीगर, कामगार जो उनकी फैक्ट्री में काम करते आ रहे है और अब घर बैठे है। ऐसे परिवारों की वे भी मदद करें और प्रशासन से भी ऐसे मेहनती परिवारों के लिए मांग कर इन्हें प्रशासन से आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास करें।