मालवा-दर्पण न्यूज। बुजुर्गों का कहना है कि दुश्मन को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। दुश्मन चाहे छोटा हो या बड़ा उसका उद्देश्य केवल हानि पहुंचना ही होता है। इस समय हमारे सामने मानव समाज के लिए सबसे बड़ा दुश्मन कोरोना वायरस पैर पसारता जा रहा है। यद्यपि हमारे देश में इसका संक्रमण नियंत्रण में ही कहा जा सकता है, किंतु फिर भी पिछले एक सप्ताह में कोरोना संक्रमण के जो मामले सामने आए है निश्चित ही चिंता करने वाले है। इतिहास साक्षी है कोरोना जैसी महामारियां यदि अपने युवा रूप में आ जाए तो मानव सभ्यता को तहस-नहस कर देती है। 100 साल पहले भी ऐसी ही त्रासदी पूरी दुनिया देख चुकी है, जिसमें करोड़ों लोगों की असमय मौत हो चुकी थी। भारत वर्ष में भी उस महामारी के दौर में एक करोड़ से अधिक मौतें हुई थी। यद्यपि हमारे देश में अभी इसका प्रभाव शिशु अवस्था में देखने को मिल रहा है, किंतु जिन देशों में इस बीमारी का आगमन पहले हो चुका है, वहां के दृश्य दिल दहलाने देने वाले है। दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका जो पूरे विश्व में अपनी धाक रखता है मौत के इस तांडव को असहाय बनकर देख रहा है। वहां पर आज तक तीन लाख से अधिक लोग कोरोना की चपेट में आ चुके है और 8 हजार से अधिक मौतें हो चुकी है। ये तो सरकारी आंकड़े है। इसके अलावा भी यह आंकड़ा और बड़ा हो सकता है। स्पेन, इटली, इरान, जर्मनी इन यूरोपीय देशों में भी मौत का आंकड़ा घातक हो जा रहा है। अभी तक दुनिया में 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हो चुकी है।
यद्यपि हमारे यहां कोरोना का संक्रमण इतना अधिक नहीं है, किंतु फिर भी हमें इसके रोकने के लिए और कारगर उपाय करने होंगे। यह किसी एक व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों के बस की बात नहीं है। इस महामारी को रोकने के लिए समाज के हर व्यक्ति को पहल करना होगी। लॉकडाउन अवधि का पालन पूरी ईमानदारी से हर व्यक्ति को करना होगा।
अफवाहों से रहे सावधान
कोरोना वायरस को लेकर आए दिन सोशल मीडिया पर अनेक प्रकार की अफवाहें भी जारी है। इन अफवाहों को ध्यान में न रखकर समाजहित में जो कार्य हो सके वहीं हर व्यक्ति को करने का प्रयास करना चाहिए। इस समय सच्चा भारतीय वही है जो संकट की इस घड़ी में मानव सेवा के लिए सबकुछ त्यागने को त्योहार है।
कोई भी धर्म अनैतिक आचरण की शिक्षा नहीं देता
भारत के संविधान में धर्म निर्पेक्षता की व्याख्या की गई है, जिसमें सभी धर्म मानने वाले को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई है, किंतु कोई भी धर्म किसी भी व्यक्ति को अनैतिक कार्य की शिक्षा नहीं देता। सभी धर्मों का मूल उद्देश्य कुल मिलाकर मानव सेवा ही है। सभी धर्मों के मूल में जो बात छिपी हुई है वो इस प्रकार है-
"परहित सरिस धरम नहीं भाई, पर पीड़ा सम नहीं अधमाई"
अर्थात् दूसरे की भलाई करने से बढ़कर कोई धर्म नहीं है और दूसरों को दु:ख पहुंचाने से बड़ा कोई पाप नहीं है। कहने का तात्पर्य इस समय प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव, बिना किसी जाति धर्म को ध्यान में रखते हुए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर केवल और केवल मानव सभ्यता की रक्षा का संकल्प लेना होगा।
आगे आना होगा हर व्यक्ति को
सोशल डिस्टेंस बनाते हुए हर व्यक्ति को संकट की इस घड़ी में तन-मन धन से एक साथ रहकर इस महामारी का मुकाबला करना होगा। यद्यपि प्रशासन एवं अनेक समाजसेवी संस्थाएं, अनेक समाजसेवी लोग, पत्रकार साथी सभी दिन-रात इसे रोकने के लिए उपायों में लगे है, किंतु फिर भी ऐसा लग रहा है कि हम इसे हल्के में ही ले रहे है, तभी तो आए दिन समाज में लॉकडाउन के नियमों को तोडऩे की घटनाएं निरंतर जारी है। कुल मिलाकर समाज के हर व्यक्ति को जो भारतवर्ष का निवासी है अपनी मानव सभ्यता की रक्षा के लिए पूरी ताकत के साथ आगे आना होगा। तभी जाकर हम इस कोरोना महमारी से पार पा सकेंगे और गर्व से कह सकेंगे हम होंगे कामयाब एक दिन... पूरा है विश्वास।
हम होंगे कामयाब एक दिन...