मालवा-दर्पण न्यूज/आगर-मालवा।
सुर नर मुनि सबकी यह रीति, स्वारथ लागि करे सब प्रीति।।
यह चौपाई सत्य कथन बयां कर रही है। मनुष्य तो करता देवता भी बिना मतलब के व्यवहार नहीं करते सही है पर स्वार्थ की सीमा होती है मर्यादा होती है लक्ष्मण रेखा के उल्लंघन करने का दंड रावण जैसे योद्धा को भुगतना पड़ा है। इतिहास साक्षी है जब-जब हमने दूसरे के हितों की बलि देकर अफना हित साधने की कोशिश की है परिणाम भयानक ही सामने आए है। चाहे मामला दूसरेकी भूमि पर अतिक्रमण का हो चाहे दूसरे के साथ धोखा किया हो पृकृति पर बेरहमी से प्रहार किए हो, नदियों को रोका हो, पहाड़ों को रौंदा हो। अपने फायदे के लिए दूसरे का हक छीनने से अधिक घटिया काम क्या हो सकता है। आज कल तो राज नेताओं की खरीद परोख्त के भी समाचार सुनने को मिलने लगे हैं। सच्चाई कितनी है ऊपर वाला ही जाने, क्योंकि उसकी नजर से कोइ बच नहीं पाया है। आज के बाजार में जो सन्नाटा पसरा है उसके जवाबदार बहुत हद तक हम ही है। हमारी कभी न पूरी होने वाली महत्त्वाकांक्षा का ही परिणाम है हम बाहर से खुश रहने का कितना ही नाटक कर ले। मगर हमने दूसरों का हक छीना है तो हमें उसकी बदुआ से कोई नहीं बचा सकता, क्योंकि
कायदे का फायदा बे कायदे जाता नहींबे कायदे का फायदा कभी काम आता नहीं.
बाजार का सन्नाटा भी शायद यही बयां कर रहा है...
बे कायदे का फायदा कभी काम आता नहीं